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जतन बिन मिरगा नें खेत उजारौ।।
पाँच मिरग और पचीस मिरगनी, मिलि चारौ के चारौ।
अपने री अपने रस के जे लोभी, करि दियौ न्यारौ न्यारौ।।
अम्बा खाय इमिलिया खाई, केशरि बाग उजारौ।
मिरगा कों किस विधि पकड़ा, करि दियौ न्यारौ-न्यारौ।।