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जो यह फाग मच्यौ भव सागर, अजब खिलाड़ी कौ खेल री।।
नटवा एक कला बहुतेरी, रंग सबन बिच मेल री।।
समझि बूझि मन आदि अन्त तकि, सोई सोई रँग बिच मेल री।।