Search Your Song

श्यामा ब्रज खेलति होरी।।
करि सिंगार नखसिख सों बनिता, सकल भईं इकठौरी।
वृन्दावन में फाग मचायौ, रूप - सिन्धु वर गोरी,
वयस की हैं सब थोरी।।
नन्द सुवन तेहि औसर आये, लै गुलाल भरि झोरी।
घेरि लियौ ब्रज गोप कुमारिन, बेनु लई कर छोरी,
लेपि हरि आनन रोरी।।
मिलि मिलि यूथ नवाय श्याम कों, कर पकरौ बरजोरी।
वदन चूमि पुनि कंठ लगायो, औ वनमाला तोरी,
पाग केसरि में बोरी।।
कोउ गहि पानि कहति केशव सों, बहुत करी दधि चोरी।
‘हरि बिलास’ कोउ नारि सुनयनी, गारी देत मुख मोरी,
हँसति वृषभानु किशोरी।।