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आजु बसन्त बना बनि आयौ।।
कोऊ सखी ओढ़ैं चीर बसन्ती, काऊ ने सालू रँगायौ।
कोऊ सखी डारि गरे बिच सेली, रुप अनूप बनायौ,
भेष जोगिन को दिखायौ।।
चन्द्रावलि पै चीर बसन्ती, ललिता ने सालू रँगायौ।
राधे डारि गरे बिच सेली, रुप अनूप बनायौ,
भेष जोगिन कौ दिखायौ।।