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दैया मोरी अँखियन परि गयौ, ऐसे गुलाल खिलैया।।
अवधपुरी में जनम लियौ है, नाम धरायौ रमैया।
फूफू बहन नहीं सिखलायौ, नाच करायौ थैया थैया।।
जौ तुम होरी खेलन चाहौ, राम लखन दोऊ भैया।
कछुक दिना मिथिला में रहियो, मिलकर चारौ भैया।।
माई बाप के अधिक लड़ैते, नाम धरयौ है रमैया।
राम लखन और भरत शत्रुघन, कौसल्या के छैया।।
‘मधुर अली’ तुम डोलौ गलिन में, नाम धरायौ रमैया।
काहू सखी के पालें परौगे, नाच नचैहै ता ता थैया।।