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पिय अजहुँ न आये, बीती जाति बहार री।।
कैसें कै दिन बितवौं आली, जोबन करत उभार री।।
कहा करों कित जाऊँ बताऔ, यह समयौ दिन चार री।।
अली ‘माधवी’ पिय बिन व्याकुल, कोउ न सुनत पुकार री।।