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ऐसी होरी है रही ब्रज में, श्याम राधिका सों खेलत होरी।।
अबीर गुलाल के थार भरे हैं, केसर रंग सों भरी मेरी गगरी।।
अबकी चोट बचाऊँ मोरी आली, आजु बिरज सारौ भींजि रहौरी।।