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लाल ही लाल भये, होरी खेलि रहे नन्दलाल।।
लाल लली ललकारि दुहूँ दिसि, उड़ि रहे लाल गुलाल।
वे उनके कंचुकि तकि मारत, वे तकि मारत गाल।।
लाल भयौ सिर पेच लाल कौ, पट जामा भये लाल।
दल समेत भयीं लाल लाड़िली, लालन के गल माल।।
लाल भयी छिति गगन लाल भये, ससि उड़गन भये लाल।
उड़त गुलाल लाल भये बादर, रवि मंडल भयौ लाल।।
लाल लाल सब ग्वाल बाल भये, ब्रजवासी भये लाल।
लालन ललित लाल लखि लाला, पल फेरत भये लाल।।