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बनि आईं हैं चातुर नारि, होरी रंग भरी।।
सूआ सारी घेरि घाँघरौ, अंजन बेंदी भाल,
रोरी आड़ दिएँ।।
मुतियन की लर यों लटकति है, लट नागिन लहराय,
चोटी पीठि परी।।
बाजत ताल मृदंग झाँझ ढफ, अरू बाजत करताल,
नाचैं इन्द्रपरी।।
अबीर गुलाल के बादर छाये, रंग की परत फुहार,
भीजैं कृष्ण हरी।।