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होरी खैलों न काहे बरायें जात, का सखियन लखि घबराये जात।।
लाउ ननदी मेरी बोलि संगातिन, ठहरौ श्याम क्यों सकायें जात।
ना सकुचौ रंग कोटि कमोरिन, अतर न चोया चुकायें जात।।
ना अबीर थोरौ कमि हू गुलाल ना, देखौ मैं अबहीं दिखायें जात।
तुमतौ ललन बड़े ढीठ कहावत, केहि मिस आँखे छिपायें जात।।