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आवौ गुपाल सिंगार बनाऊँ, मुतियन माँग सिंदूर भराऊँ।।
जैसी तान तिहारे मुख की, वैसी तान मैं गाय सुनाऊँ।।
जैसी आप अधर धर फूँकत, निज अधरन पर फूँकि बजाऊँ।।
‘सूर’ श्याम तुम बनहु राधिका, मैं नँद जू कौ लाल कहाऊँ।।