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बन कों चले दोऊ भाई, इन्हें कोई रोकौ री माई।
आगे आगे राम चलत हैं, पाछें लछिमन भाई।।
ताके पीछे चलति जानकी, शोभा बरनि न जाई।।
राम बिना मोरी सूनी अयोध्या, लछमन बिन ठकुराई।
सीता बिना मोरी सूनी रसोइया, कौन करे चतुराई।।
रिमझिम रिमझिम मेहा बरसै, पवन चलै पुरवाई।
काऊ बिरछ तन भींजत होइगें, सीता सहित दोऊ भाई।।
लंका जीति राम घर आये, घर घर बजत बधाई।
मातु कौशल्या करति आरती, शोभा बरनि न जाई।।