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श्याम होरी खेलन हमसों न आवै, जासों कहियो पलटि घर जावै।।
ऐसिन की परतीति कहा है, कपट की बात बनावै।
भीतर चरन धरन नहिं दीजो, चाहें जितौ ललचावै।।
वृन्दावन की कुंज गलिन में, जित चाहें तित जावै।
‘नारायण एक मेरौ भवन तजि, अनत चहें कहुँ जावै।।