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ब्रज में खिलन मति जाउ, तुम पै कोऊ रँग डारि दैहै।।
ये ब्रजवासी बड़े बिसघाती, मारग में इठलैहैं।
तिनके सँग ह्नै जैहौ बावरी, गोकुल जान न देहैं।।
ग्वाल बाल सब मद के री माते, चहुँ दिसि सें घिरि ऐहैं।
इक इक रँग सौ सौ पिचकारी, तुम्हरेहि सीस चढ़ैहैं।।
इतनौ कहौ मेरौ मानौ दुलहिया, फिरि पाछै पछितैहैं।
‘भूदरदास’ श्याम मिलि जैहैं, नैन सों नैन मिलैहैं।।