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है अनरीत बड़ी या ब्रज में, कोई न जाहि गुपालहिं हटकै।।
उनहिं न लाज हमहिं गुरुजन डर, बाट चलत मोरी गागरि पटकै।।
अब कैसें लाज रहै या ब्रज में, कर पकरै अरु चूनरि झटकै।।
बहुत सही अब जात सही ना, बाल अहीर कौ आँखिन खटकै।।