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होरी खेलन कैंसे जाऊँ सखी री, हरि के हाथ पिचकारी लसति है।।
और की सारी कुसुम रँग बोरत, हमरी चुनरि गुलनारी रँगत है।।
होरी के खिलैया सम्हरि होरी खेलौ, या ब्रज में राधाप्यारी बसति है।।