Search Your Song

मैं तो याही छैल सों हारी, मारत मोरे नैननि में पिचकारी।।
घर मेरौ दूरि गगरि सिर भारी, मैं नाजुक पनिहारी।
तकि तकि गेंद कुचन पर मारत, ऐसौ ढीठ खिलारी।।
सिर पर घड़ा घड़े पर झारी, चाल चलत मतवारी।।
‘तनसुख’ के प्रभु जानि अकेली, सराबोर करि डारी।।