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ऐसौ ढीठ जसुमति कौ लँगर, रँग मोपर डारि गयौ।।
घूँघट कौ पट उलिट अचानक, रूप निहारि गयौ।।
फूले कमल, कमल सम्पुट दोऊ, चोली फारि गयौ।।
हा हा करि हरि सों बिनती करि, मोहि अबारि गयौ।।
मुख चुम्बन करि देखि ‘किंकरहिं ताहि पबारि गयौ।।